Tuesday, 18 April 2017

" आजाद भारत में न्यायाधीशों को अपार सुविधायें "

प्रिय केन्द्रीय कानून मंत्री जी भाजपा सरकार 

विषय :- " आजाद भारत में  न्यायाधीशों को सरकारी अपार सुविधायें "
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आगरा - भारत 18 अप्रेल 2017 

भारत वासियो न्याय मांगने किसी  भी न्यायालय में जून माह में मत जाना 
क्यौंकि भारत सरकार नहीं चाहती कि प्यारे जज संवर्ग सरकारी उच्च वेतनमान भोगी अधिकारीगण लू का शिकार बन कर बिमार ना पड जाय ,

0 फौजी, 0 बैंक मैनेजर , 0 रेलवे , 0 डाकपाल , 0 बस ड्राईवर खबरदार 
जो जून माह में यानी लू माह में जरा भी आराम किया तो ,
तुम लू में भी समय 10 AM To 5 PM या रात दिन जून माह भी काम करो 
NO आराम , यानी आराम हराम है
  • जज सरकारी आबलां यानी संवर्ग  हमारा चहेता और परमप्रिय सरकारी नौकर है नाजुक है जल्दी सर्दी लग जाती है तभी शीत कालीन अवकाश दिया जाता है गर्मी व लू भी सहन नही कर पाता बेचारे सुबह 9 AM के स्थान पर 11 AM पर राजा महाराजाओं की तरह आसन ग्रहण कर 1 बजे बेचारे भोजन व आराम करेगे 3 बजे जमानती व धंधे का काम निबटा कर फिर छुट्टी आराम करेगे , और वादी जरा भी सच बोला तो अदालत के अपमान में जेल का आदेश कर देंगे , वाह भारत सरकार व लोक सभा क्या जज अधिकारी व कर्मचारी किसी भी सेवा विनियम का उल्लंघन कर सकता है ?  जबाब नहीं फिर डरपोक मंत्री सांसद समान व्यवहार बैंकर्स व जजों के साथ क्यों नही कर रहे है ? या तो सभी सरकारी विभाग न्यायालयों की तरह जून में बन्द रहेंगे या न्यायालय भी  जून माह में खोले जायेगे , कार्मिक समानता लागू कीजिये SIR जी 

बैंक वाले जून में वसूली करे व जज मण्डली जून में आराम करे 
आजाद भारत में नही चलेगा नही चलेगा ,

 सभी अदालतें पूरे साल काम करेगी , हाँ  जज संवर्ग अवकाश का उपभोग छुट्टी लेकर कर सकता है , जजों की कार्यक्षमता मापन में फार्म भरवाइये कि पूरे साल कितना अवकाश लिया , कितने दिन पेशकार गायब रहा ? ज्यादा तारीख पाने वाले वकीलों से वकालत नामा रद्द किया जाय और 1 वर्ष तक अदालती प्रवेश बन्द किया जाय , क्यौकि भारतीय संविधान में मूल प्रथम नागरिक कर्तव्य न्याय है जिसका उल्लंघन महा अपराध की श्रेणी में आता है जिसके लिये जज साहब पेशकार व वकील संवर्ग पूरी तरह जिम्मेदार है , वादी को तारीख केवल वादी की इच्छा व आवश्यकता पर ही दी जाय अन्य किसी भी कारण से तारीख नहीं दी जाय , कठोर सेवा विनियम लागू किया जाय , अदालत में हक का प्रावधान किया जाय , अदालत का अपमान व दण्ड अधिकार समाप्त किया जाय जैसे बैंकिग विभाग सर्वोत्म व्यवहार दिन भर करता है ।
  •  जज को शालीनता का पाठ पढाया जाय ब्रिटिश राज्य भारत में नही है फिर जजों की हेकडी लन्दन तक फेंकी जाय जजों के असहज कृत्य व व्यवहार पर तत्काल कार्यवाही का अधिकार जिला जजों को दिया जाय ।
  • जजों को पेशकार पद तक लाया जाय अगर भ्रष्टाचार में पाया जाता है भले ही वेतन जज का मिले ,
SIR अदालतें जन मानस की भावनाओं का मन्दिर है जहाँ अवकाश न्याय में विलम्ब भ्रष्टाचार है इसे भगाइये SIR जी कानून में परिवर्तन कीजिये SIR जी 

सधन्यवाद ‍‍‍!
भवदीय 
हरीशंकर शर्मा
अध्यक्ष IBBIBBP











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