प्रिय भारत एवं विश्व वासियों ,
धर्म शास्त्र में नारी का दर्जा सर्वोत्म माना गया है
फिर भी श्री राम युग से लगातार नारी उत्पीडन का दर्द
झेल रही है, अाज सामान्य नारी भी उत्पीडन का शिकार
है, सवाल यह है कि दोषी कौन है ? समाज या मर्द
माँ पार्वती ने रुप बदला सीता बनकर श्री राम का
दर्शन किया , परिणाम स्वरुप महाशिव रुठ गये और
पार्वती का या सती माँ का परित्याग - तलाक कर ही
दिया, वाह! सती सरे राह शरीर त्याग कर पतिव्रता का
साक्ष्य दिया , माँ सीता जी ने भी भगवान राम का शक
आग में परीक्षा देकर दिया भाग्यवश जीवित बच गयी
बिभीषण और हनुमान साक्षी है, फिर भी सीता माँ का
परित्याग बन गमन पर अयौध्या शासन + प्रशासन +
परिवार + मित्र मण्डली की मौहर लग ही गयी ,
सीता का त्याग कि 14 वर्ष बन गवन में शारीरिक आर्थिक
व मानसिक कष्ट और उत्पीडन जो रावण ने किया झेला
फिर भी राजा राम का सीता त्याग आदेश जारी ही हुआ,
हे अबलाओं, आज तुम्हारा शोषण यही भारत समाज
मर्द जाति खूब कर रही है,
प्रमाण - अध्यक्ष हरीशंकर शर्मा गवाह है कि ब्राह्मणों
ने निर्दोष विवाहित पत्नी / पत्नीयों का तलाक कर
मनमानी दूसरी शादी की है ।
जब दूल्हा बनने का मौका मिला तब दोनों हाथों में
गेंहू / जौं लेकर चौकी पर बैठ गया आग को साक्षी मान
पत्नी की मांग भरी , और फिर तलाक कर दिया ,
अनेकों कमी दीख रही है, वाह समाज वाह हिन्दू समाज
दूसरे की प्यारी लाडली बेटी विवाह बाद त्याग दिया , और
नमक हराम समाज तमाशा देख रहा है कि दूल्हा को
सबक सिखाया जा सके , ना
कानून कहता है कि तलाक मामला लम्बा खीचों वर्षो दर
वर्षो जारी रखो, ताकि या तो सम्बन्ध बन जाय या टूट जाय
कानून कौन होता है ? तलाक मामले लम्बे खींचने वाला ,
यही मर्दों की मनमानी है नारी की पूरी गुलामी है ,
तलाक मामला किसी भी कीमत पर उच्च न्यायालय
और सर्वोच्य न्यायालय तक नही जाना चाहिये ,
निम्न न्यायालय के फैसले के बाद सीधा राष्ट्रपति
न्याय दरबार में जाना चाहिये जहाँ 90 दिन में
पूर्ण न्याय तलाक मामला समाप्त किया जाना चाहिये
तलाक मामला कुल 6 माह में पूर्ण किया जाना चाहिये
और केस दायर तारीख से ही जीवन यापन खर्च का
पैसा न्यायालय द्वारा पीढिता को दिया जाय ,
सवाल - भारतीय न्यायालयों में तलाक मामला मर्द जजों
द्वारा ही क्यों सुने जाते है , भारत सरकार नारी जजों
को यह अधिकार क्यों नही सौंप रही है , ?
जैसे महिला न्यायालय जहाँ महिला वकील , महिला जज,
महिला पेशकार महिला पुलिस आदि के समक्ष नारी
उत्पीडन, तलाक , पिटायी , बलात्कार , छेड़खानी ,
घरेलू सास-बहू झगडा , बहू का उत्पीडन मकान
खेत , दुकान , चांदी- सोना , धन में बहू को
हिस्सा ना देना , बहू को भूखा रखना , उपचार ना
करवाना बच्चा जबरन गिरवाना , लड़की पैदा होने
पर उत्पीडन , कटाक्ष , व्यग्य , देवर - जेठ का अवैध नई
बहू पर हुक्म , चुगली झूठ चोरी , खाने में बदनामी , नुक्स
निकालना , ताना मारना , बहू के साथ अलगाव बाद ,
यह रात- दिन का परिवार का चलन हर घर घर की
कहानी है, जहाँ प्यार की व न्याय की अति आवश्यकता है,
जहाँ न्याय नही वही मामला न्यायालय तक जाता है ,
तलाक हो जाता है ,
सवाल - बेशर्म भारतीय समाज - जो देख रहा है रमजानी ने
तलाक रेशमा का कर ही दिया है तब अपनी शब्बो को
रमजानी को क्यों सौपना चाहता है ?
जबाब सोचे
भारतीय समाज ,जब अमर ने पिंकी को तलाक दे ही दिया
तब सपना अमर की पत्नी क्यों बनना चाहती है ?
हे नमक हरामी युवाऔं , समाज के ठेकेदारों न्याय कीजिये,
नारी समाज को मान दीजिये, तलाक बन्द कीजिये , बहु को
आग में मत जलाओं ,कानून अति लाहपरवाह बना दिया
गया है क्यौंकि मर्द जाति का डंडा राज आज भी कायम है ,
नारी का गुण संतान पैदा करना व घर परिवार की सफाई
व रसोई तक ही उसका कर्तव्य है , यदि आप मर्द है तो
इसी कर्तव्य तक सोच बनाकर साथ निभायें अन्यथा कुवारे संडे
रहकर ही जीवन व्यतीत करें ,
प्यारे ना राम बनो , ना भगवान बनो , बस एक नारी के , प्यारे पति
जरुर बनो प्यारो , यही धर्म है ,
सधन्यवाद !
भवदीय
हरीशंकर शर्मा
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