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प्रेस जगत भारत व विश्व , प्रकाशनार्थ
प्रिय भारत एवं विश्व वासियों ,
विषय :- " ईमानदारी और दीपावली "
" मन का दीप नहीं जलाया अंधेरा छा गया
विश्व पटल पर मानव समाज में भ्रष्टाचार अंधेरा छा गया "
- ईमानदारी की परिभाषा :-
" जहाँ भ्रष्टाचार नहीं है वहाँ
ईमानदारी रहती है मन की
सोच पर यह निर्भर रहती है "
- उदाहरण :-
" विपत्ति काल मानव समाज
को मजबूर करता है कि राह
ईमानदारी छोडें या नहीं "
" केवल लाभ लालच में मानव समाज
के साथ किया गया छल- कपट ही
महा-भ्रष्टाचार है "
उदाहरण :- अगर मैं सबसे अमीर बनू
भले ही मानव समाज का
सर्वनाश हो जाय ,
" मन की गन्दी सोच अगर असर
दिखा गयी तो प्रभाव सामने जरुर
आयेगा " जो भयंकर , कटीला व
विनाश कारी ही होगा "
" प्रकृति स्वरुप से दूरी बनाकर राह भटक कर मनमानी कदम उठाना ही भ्रष्टाचार है "
"मानव पतन , समाज पतन और राष्ट्र पतन
का प्रथम कारण ही झूठ होता है
आज ही प्रयोग कर आजमालीजिये "
" जिस देश , समाज व घर में भ्रष्टाचारी
सोच रहेगी वहाँ तनाव , उत्पीड़न , विनाश
झूठ , छल , कपट का ही वास होगा "
" प्राकृतिक वायु पानी , फसल , फल स्वाद
जब भ्रष्ट नहीं है आज भी पूरी- पूरी
ईमानदारी है भ्रष्टाचार भाग गया
मानव समाज की गन्दी सोच मिलावट
ने भ्रष्टाचार बढ़ा दिया "
" जब माँ - पिता और मानव समाज नर + नारी
भ्रष्टाचार की नाली में गोता खा ही गये
तब ईमानदारी सोच वाला पुत्र- पुत्री
कैसे अच्छा समाज बना सकेगा "
" नियम + कानून व संस्कार रीतियां प्रथा
संसार को स्वर्गमय बना रही है यही
सच्ची ईमानदारी है जहाँ भ्रष्टाचार नहीं है "
" रंग-भेद , जाति-भेद , धर्म-भेद और अन्याय
के रहते ईमानदारी कभी नहीं आ सकती "
" जहाँ प्रकाश यानि ईमान दीप जलेगा वहाँ
अंधकार यानि भ्रष्टाचार नही रहेगा और
जहाँ भ्रष्टाचार होगा वहाँ ईमानदारी कभी
नहीं रह पायेगी "
सधन्यवाद !
जय ईमानदारी माँ
भवदीय
हरीशंकर शर्मा
अध्यक्ष IBBIBBP
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