Sunday, 15 October 2017

" ईमानदारी और दीपावली "

To,
प्रेस जगत भारत व विश्व , प्रकाशनार्थ

प्रिय भारत एवं विश्व वासियों ,

विषय :- " ईमानदारी और दीपावली "

" मन का दीप नहीं जलाया अंधेरा छा गया 
   विश्व पटल पर मानव समाज में भ्रष्टाचार अंधेरा छा गया "

  • ईमानदारी की परिभाषा :- 
" जहाँ भ्रष्टाचार नहीं है वहाँ
ईमानदारी रहती है मन की 
सोच पर यह निर्भर रहती है "

  • उदाहरण :-
                                                    "   विपत्ति काल मानव समाज 
                                                      को मजबूर करता है कि राह 
                                                      ईमानदारी छोडें या नहीं " 
  

" केवल लाभ लालच में मानव समाज 
के साथ  किया गया छल- कपट ही 
महा-भ्रष्टाचार है "

उदाहरण :- अगर मैं सबसे अमीर बनू
भले ही मानव समाज का 
सर्वनाश हो जाय ,


"  मन की गन्दी सोच अगर असर 
दिखा गयी तो प्रभाव सामने  जरुर 
आयेगा " जो भयंकर , कटीला व
 विनाश कारी ही होगा  "

" प्रकृति स्वरुप से दूरी बनाकर राह भटक कर मनमानी कदम उठाना ही भ्रष्टाचार है "


"मानव पतन , समाज पतन  और राष्ट्र पतन 
का प्रथम कारण ही झूठ होता है 
आज ही प्रयोग कर आजमालीजिये " 


" जिस देश , समाज  व घर में भ्रष्टाचारी 
सोच रहेगी वहाँ तनाव , उत्पीड़न , विनाश 
झूठ , छल , कपट का ही वास होगा "


" प्राकृतिक वायु  पानी , फसल , फल स्वाद 
जब भ्रष्ट नहीं है आज भी पूरी- पूरी 
ईमानदारी है भ्रष्टाचार भाग गया 
मानव समाज की गन्दी सोच मिलावट 
ने भ्रष्टाचार बढ़ा दिया "


" जब माँ - पिता और मानव समाज नर + नारी 
भ्रष्टाचार की नाली में गोता खा ही गये 
तब ईमानदारी सोच वाला पुत्र- पुत्री 
कैसे अच्छा समाज बना सकेगा "


" नियम + कानून व संस्कार रीतियां प्रथा
संसार को स्वर्गमय बना रही है यही
सच्ची ईमानदारी है जहाँ भ्रष्टाचार नहीं है "


" रंग-भेद , जाति-भेद , धर्म-भेद और अन्याय 
के रहते ईमानदारी कभी नहीं आ सकती "


" जहाँ प्रकाश यानि ईमान दीप जलेगा वहाँ 
अंधकार यानि भ्रष्टाचार नही रहेगा और 
जहाँ भ्रष्टाचार होगा वहाँ ईमानदारी कभी 
नहीं रह पायेगी "

सधन्यवाद ! 
जय ईमानदारी माँ
भवदीय 
हरीशंकर शर्मा
अध्यक्ष IBBIBBP







No comments:

Post a Comment